style="margin-top:40px;"

Monday, February 29, 2016

जब स्वर्ण अप्सरा सिद्ध की





स्वर्ण अप्सरा सिद्धि 
हिमालय में ऊचे से ऊचे  योगी की यही इच्छा रहती है कि जीवन में कोई ऐसा मिले जिससे मन की बात की जा सके अपना कार्य कराया जा सके और कुछ मनोरंजन प्राप्त किया जा सके क्योकि हिमालय की शांति में इतनी ज्यादा शांति होती है जिससे कभी कभी मन घबराने लगता है दूसरा तथ्य यह भी है कि साधना करते करते एक योगी का ह्रदय इतना कठोर  हो जाता है की वह मुस्कराना भी भूल जाता है एक ही धुन सवार रहती है कि किस प्रकार से साधना सफलता प्राप्त की जाये और जब सफलता मिलती है तब प्रसन्नता भी होती है मगर जब स्वर्ण देहा अप्सरा के बारे में पता लगता है तो एक  योगी भी अपने आप को नहीं रोक पाता क्योकि यह अप्सरा कितना भी कठोर योगी या यति हो उसके पूरे जीवन को प्रेम आपूरित कर पूरी मानसिकता ही बदल देती है तभी तो ऊचे से ऊचा योगी भी स्वर्ण अप्सरा साधना कर इस अप्सरा को जीवन साथी या प्रेमिका रूप में सिद्ध करने को व्याकुल हो जाता है इस अप्सरा को सिद्ध करना बहुत ही कठिन कार्य है क्योकि इसके लिए पूर्ण तेजस्विता की जरूरत होती है और गुरु के सानिध्य में रहकर ही सफलता प्राप्त की जा सकती है मुझे यह तथ्य हिमालय के उच्च कोटि के योगी से प्राप्त हुआ था जिन्होंने 21 बार साधना करने के बाद इस साधना में सफलता प्राप्त की  थी जबकि इससे पहले की हुई साधना ज्यादातर पहली या दूसरी बार में ही प्राप्त कर लेते थे आप सोच सकते है यह कितनी दुरूह साधना होगी इस साधना को पाने के लिए उन्हें गन्धर्व पहाड़ पर 300 फीट उचाई से बहती नदी में छलांग लगानी पड़ी थी तब जाकर एक महात्मा से इस साधना प्रयोग को प्राप्त कर सके |

No comments:

Post a Comment