रुद्राक्ष भगवान को अत्यंत प्रिय है यह एक मुखी से 21 मुखी तक होते हैं और बड़ी कठिनाई के साथ प्राप्त होते हैं एक मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करनाबहुत ही कठिन कार्य है जिसके पास एक मुखी रुद्राक्ष
होता है वह व्यक्ति बहुत ही सौभाग्यशाली होता है क्योकि जो भी ऐसे रुद्राक्ष को गले में धारण करता है उसके जीवन में किसी प्रकार का आभाव नहीं रहता है लेकिन मैं जो प्रयोग बता रहा हूं वह पंचमुखी रुद्राक्ष पर सिद्ध
किया जाता है इस प्रकार के रुद्राक्ष आसानी से प्राप्त हो जाते हैं यद्यपि बाजार में जो रुद्राक्ष दिखाई देते हैं अधिकतर नकली होते हैं वास्तव में यह रुद्राक्ष ना होकर रुद्राक्ष की तरह दिखाई देते हैं जोकि लकड़ी के ऊपर
कारीगरों द्वारा काट छांट करके बनाये जाते हैं अतः साधकों को इस तरह का रुद्राक्ष किसी विश्वास पात्र व्यक्ति से प्राप्त करना चाहिए पंचमुखी रुद्राक्ष ज्यादा महंगा नहीं होता यह आसानी से मिल जाता है किसी भी
सोमवार को यह रुद्राक्ष किसी पात्र में रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए उसके बाद उस पर जल चढ़ाकर धोकर केसर आदि लगाना चाहिए और उसके क्षेत्र में लाल रंग का धागा पिरो लेना चाहिए इसके बाद उस रुद्राक्ष को
दाए हाथ की हथेली में रखकर निम्न मंत्र का जाप 2 घंटे तक करना चाहिए यह प्रयोग किसी भी सोमवार से प्रारंभ होना चाहिए और अगले सोमवार को प्रयोग समाप्त हो जाता है इस प्रकार यह प्रयोग मात्र 8 दिन का है
और उसे नृत्य निश्चित समय पर 2 घंटे मंत्र का जाप करना चाहिए यह प्रयोग सूर्य उदय होने से 2 घंटे बाद तक किया जाना चाहिए अपनी हथेली में रुद्राक्ष को रखकर मन ही मन मंत्र जप करना चाहिए इसमें भी माला
का प्रयोग आवश्यक नहीं हैमंत्र इस प्रकार से है|
मन्त्र
ॐ ऐम क्लीम ऐन्द्रि माहेन्द्री कुलु कुलु चुलु चुलु हंसः स्वाहा ||
इसमें मंत्र जप की संख्या निर्धारित नहीं होती केवल मात्र निर्धारित समय पर 2 घंटे मंत्र जाप रोजाना 8 दिन तक करना चाहिए इस प्रकार से रुद्राक्ष पर प्रयोग करने पर लक्ष्मी रुद्राक्ष सिद्ध हो जाता है अगले सोमवार को
जब यह साधना संपन्न हो जाए तब उस रुद्राक्ष को अपने गले में धारण कर लेना चाहिए और भविष्य में पहने रहना चाहिए ऐसा करने के बाद उस व्यक्ति के घर में हमेशा हमेशा के लिए लक्ष्मी का वास हो जाएगा और
दरिद्रता पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगी यह प्रयोग हिमालय के अत्यंत उच्च कोटि के साधु से प्राप्त हुआ था साधना करने के बाद पता चला कि यह कितना
महत्वपूर्ण प्रयोग है जोकि शीघ्र सफलता देने में पूर्ण रूप से सहायक है क्योंकि रुद्राक्ष शिव के अंश के रूप में माना जाता है इसलिए इसमें विशेष चेतना व्याप्त रहती है शंकर जी का
पूर्ण वरदान इस रुद्राक्ष में समाहित रहता है इसीलिए तो यह साधना आज के कलयुग में भी पूर्ण सफलता देने में सक्षम है इसके माध्यम से धन के पहाड़ लगाए जा सकते हैं यह इतना महत्वपूर्ण प्रयोग है जिसके बल पर
समाज में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया जा सकता है यह लक्ष्मी साधना साधु परंपरा के अंतर्गत ही प्राप्त होती है इस साधना में सात्विक भाव रखना अत्यंत आवश्यक है जब तक साधना करें तब तक पूर्ण ब्रम्हचर्य व्रत का
पालन करें वस्तुतः यह साधना आज के कलयुग में कल्प वृक्ष के समान है प्रत्येक गृहस्थ को इस प्रकार की साधना अवश्य ही संपन्न करनी चाहिए जिस के प्रभाव से वह अपनी गृहस्थ की आवष्यकताओं की पूर्ति
आसानी से कर सके और अपने जीवन की सभी इच्छाओं की पूर्ति करता हुआ ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो सके|
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